Bankimchandra Chatterjee"बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय (चटर्जी) की कलम 4;े भारतीयों को अंग्रेजी दासता से मुक्ति का मार्ग दिखाया। गुलामी की जंजीरों को तोड़ने का साहस जगाया। 'वंदेमातरम' उनके अकूत देशप्रेम की ही अभिव्यक्ति है, जो 'राष्ट्रीय गीत' के रूप में सुशोभित है।भारतीय जनमानस पर उनकी गहरी छाप दिखाई देती है। इसमें कोई दो राय नहीं कि आजादी के मतवालों ने उनसे प्रेरणा न ली हो।वह उन शीर्षस्थ बंगला उपन्यासकारों में से एक हैं, जिनकी लेखनी ने बंगाल-साहित्य ही नहीं, हिन्दी-साहित्य को भी समृद्ध किया। उनके खाते में 15 उपन्यास दर्ज हैं, लेकिन कोई भी कृति किसी से कम या ज्यादा नहीं है।नारी के विरह और अंतर्वेदना को उन्होंने मानसिक नहीं, साहसिक तरीके से उकेरा है, जो ज़िन्दा दिलों में हलचल पैदा करती है। स्त्री के भीतर प्रेम जब फूटता है तो पूरा उपवन महकता है। देवी चौधरानी, दुर्गेश नंदिनी, कपालकुंडला, मृणालिनी, चंद्रशेखर, इसके उत्कृष्ट उदाहरण हैं।उन्होंने भारतीय इतिहास को समझाने के लिए नव-दृष्टि प्रदान की है। यही कारण है कि वह ऐतिहासिक उपन्यासों के कथानकों को भी रोचक तरीके से प्रस्तुत करते हैं। वे ऐतिहासिक उपन्यास लिखने में सिद्धहस्त थे, उनकी इस विधा के आगे कोई नहीं ठहरता। साहित्य जगत में उन्हें भारत का एलेक्जेंडर ड्यूमा कहा जाता है। लेकिन बंगला के इस शीर्षस्थ उपन्यासकार को नारी का पक्षधर और साहसिक कहना ज्यादा उचित होगा।" Read More Read Less
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